Sunday, April 12, 2020

कविता-: फिर हिंदुस्तान कहाएं

कविता-: फिर हिंदुस्तान कहाएं


जिस देश में भ्रूण हत्या की घटना नित दिन बढ़ती जाए। 
वो हिंदुस्तान कहाए! वो हिंदुस्तान कहाए!
जहां कोई बाला जन्म भी ले तो मातम सा छा जाए।
वो हिंदुस्तान कहाए! वो हिंदुस्तान कहाए!

जहां मां सीता की पवित्रता पर प्रश्न उठाया जाए।
जहां पांचाली को जुए में हारा और हराया जाए।
जहां नारी को कहकर लक्ष्मी बस उल्लू बनाया जाए।
वो हिंदुस्तान कहाए! वो हिंदुस्तान कहाए!

जहां बेटा विद्यालय को जाए बेटी बर्तन धोए।
जहां बेटा बाहर मौज उड़ाए बेटी घर में रोए।
जहां बेटा हो आंखों का तारा बेटी हो असहाय।
वो हिंदुस्तान कहाए! वो हिंदुस्तान कहाए!

जहां नवरात्रों में नौ दिन का उपवास चढ़ाया जाए।
क्यों उसी देश में महिला का उपहास उड़ाया जाए?
जहां अबला नारी बोल  इन्हें कमजो़र बताया जाए।
वो हिंदुस्तान कहाए! वो हिंदुस्तान कहाए!

हों बहू_बेटियां, बहनें हों, या माएं या कन्याएं।
सबको समान अवसर हो जिससे सब आगे बढ़ पाएं।
दुष्कर्म न हो, हो नहीं अपहरण और नहीं हत्याएं।
आओ मिलकर संग लड़ें और हर अपराध मिटाएं।

आओ इनको इज्ज़त देकर भारत नया बनाएं।
फिर हिंदुस्तान कहाएं! फिर हिंदुस्तान कहाएं!



आप इस कविता को ऊपर दी गई वीडियो पर क्लिक करके सुन भी सकते हैं।

~प्रखर श्रीवास्तव











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